हिन्दी के बढ़ते हुए प्रचार को ध्यान में रखते हुए एवम् परिचारिकाओं (नर्सों) की ओर से हिन्दी भाषा में माइक्रोबायोलाॅजी की पुस्तक की मांग होने के कारण मैंने लम्बे समय के अथक परिश्रम के पश्चात् हिन्दी में सूक्ष्मजीव-विज्ञान (Microbiology) पुस्तक का सम्पादन किया जिसमें रोगोत्पादक सूक्ष्मजीवों-जीवाणुओं, विषाणुओं, कवकों तथा एककोशिकीय जन्तुओं आदि का अध्ययन किया जाता है जिन्हें नग्न नेत्रों से नहीं देखा जा सकता बल्कि सूक्ष्मदर्शी (Microscope) द्वारा ही देखा जा सकता है। बहुकोशिकीय जन्तुओं जैसे गोलकृमि, अंकुशकृमि एवम् सूत्राकृमि आदि के आँत में ही रहकर रोग उत्पन्न करने की स्थिति में मल में सूक्ष्मदर्शीय परीक्षण द्वारा उनके अण्डों तथा लार्वों की आकृति देखकर आँतों में उनकी विद्यमानता का पता लग जाने के कारण सूक्ष्मजीव-विज्ञान में इनका भी अध्ययन किया जाता है।
प्रस्तुत पुस्तक में 15 अध्याय हैं। इसकी भाषा सरल और आसानी से समझ में आने वाली है। इसमें हिन्दी के तकनीकी शब्दों के आगे ब्रैकट में अंग्रेजी में समानार्थक शब्द लिखकर हर बात को बिलकुल स्पष्ट कर दिया गया है। विषय सामग्री को समझाने के लिए पर्याप्त संख्या में चित्र दिये गये हैं।
परिचारिकाओं (नर्सों) के लिए सूक्ष्मजीव-विज्ञान की यह पुस्तक अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी, ऐसी मुझे पूर्ण आशा है।